हाल के बरसों में मोटापे को लेकर लोग काफी सचेत हो गए हैं। जो लोग फिट हैं , वे वजन बढ़ने नहीं देना चाहते और जो मोटे हैं वे किसी भी तरह वजन घटाना चाहते हैं। कैसे घटाएं वजन ...
कोई मील न छोड़ें : अगर वजन घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि कोई भी मील छोड़े नहीं। तीन प्रॉपर मील और बीच में दो स्नैक्स जरूर लें। अगर कोई मील छोड़ेंगे तो अगली बार ज्यादा खाएंगे , जोकि सही नहीं है।
ब्रेकफस्ट पर फोकस : दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफस्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कम करने की धुन में ब्रेकफस्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहता हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफस्ट लिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते या खाने में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं , बल्कि बदलते रहें। कभी दूध के साथ दलिया ले सकते हैं तो कभी वेज सैंडविच तो कभी पोहा या उपमा।
जल्द करें डिनर : दिन का खाना भी प्रॉपर होना चाहिए , जबकि डिनर सबसे हल्का। डिनर रात में 8 बजे तक कर लेना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है तो भी सोने से दो घंटे पहले जरूर खाना खा लें। नहीं दाल , राजमा , चावल जैसी चीजें रात में नहीं खानी चाहिए क्योंकि ये आसानी से पचती नहीं हैं। अगर देर रात तक जागते हैं और भूख लगती है तो फ्रूट्स या सलाद खानी चाहिए। असल में रात में बेसिक मेटाबॉलिक रेट काफी कम होता है। ऐसे में खाना पच नहीं पाता।
वॉल्यूम : खाने में वॉल्यूम पर ध्यान रखें। यानी दो बिस्कुट की बजाय एक कटोरी उबला चना खाएं तो बेहतर है , क्योंकि दोनों में कैलरी करीब - करीब बराबर ही होती हैं। इसके बजाय बीन्स , सलाद , ढोकला , पनीर ( टोन्ड मिल्क का ), चना आदि लें।
नमक में करें कटौती : खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। वैसे , हेल्दी मतलब खाने का मतलब फीके खाने से नहीं है। परंपरागत मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट , ऐंटी ऑक्सिडेंट और फाइबर भी होते हैं। सिर्फ ध्यान रखें कि इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें।
साबुत व छिलके वाली चीजें बेहतर : बिना छना आटा खाएं। गेहूं के साथ चने का आटा मिलाने से पाचन अच्छा होता है। गेहूं या जौ का आटा ( बिना छना ), ब्राउन ब्रेड , दलिया , कॉर्न या वीट फ्लैक्स , ब्राउन राइस व दालें आदि खाएं। अंकुरित अनाज व दालें विटामिन , मिनरल , प्रोटिन और फाइबर से भरपूर होती हैं।
स्नैक्स : प्रॉपर मील के बीच चिवड़ा , पोहा , ढोकला , सलाद , अंकुरित दालें , फल या सलाद खा सकते हैं। तेल और चीनी से परहेज करें। खाली कार्बोहाइड्रेट्स लेने से भूख जल्दी लगती है , इसलिए प्रोटीन भी खाने में शामिल करें।
मौसमी फल और सब्जियां : मौसमी फल और सब्जी खाएं। जूस के बजाय साबुत फल खाना बेहतर होता है। अलग - अलग सब्जी से अलग - अलग पोषक तत्व मिलते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं , इनमें मिनरल और विटामिन काफी तादाद में होते हैं।
सफेद से परहेज , रंगीन से प्यार : वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कम करें और मल्टीग्रेन या मल्टीकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब , पपीता आदि ) पर जोर दें।
दूध , दही और पनीर : बिना फैट वाला दूध या दही खाएं। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतर है कि मलाई उतार ली जाए। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व भी कम होते हैं। सोया से बना पनीर , दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नीबू , टमाटर , मेथी , पालक , बादाम , काजू , गोला जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी से बच सकते हैं।
पानी व अन्य तरल पदार्थ : दिन में 3- 4 लीटर पानी व तरल पदार्थ लें। पानी न सिर्फ फैट कम करता है , बल्कि शरीर से जहरीले तत्वों को भी निकालता है। यह भूख कम करता है और कब्ज रोकता है। खाने के 15 मिनट बाद घूंट - घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए। जब भी पानी पिएं , ठंडे या सादे की बजाय गुनगुने पानी को तरजीह दें। खाने की शुरुआत एक गिलास पानी , नारियल पानी , जूस , सूप , नीबू पानी या छाछ से करें।
चीनी और जंक फूड से तौबा : शुगर , जंक फूड , फास्ट फूड , मिठाइयां खाने की लिस्ट से निकाल दें। कैंडी , जेली , शहद , मिठाई और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रहें। इसी तरह बिस्कुट , केक , पेस्ट्री में काफी फैट और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होता है , जो मोटापा बढ़ाता है।
तेल की धार : तला - भुना खाना न खाएं और ऊपर से मक्खन , ग्रेवी व ड्रेसिंग आदि न करें। खाने में तेल इस्तेमाल किए जाने वाला तेल बदलना बेहद जरूरी है। मसलन एक सप्ताह सनफ्लावर ऑयल लें तो दूसरे में सोयाबीन ऑयल यूज करें। या फिर एक वक्त का खाना एक तेल में पका सकते हैं तो दूसरे वक्त का किसी और तेल में। गिरियों में काफी फैट होता है। उन्हें खाएं जरूर मगर कम मात्रा में। लेकिन फैट कम करने का मतलब फैट फ्री डाइट से कतई नहीं है। फैट फ्री डाइट से जरूरी फैटी एसिड और फैट सॉल्युबल विटामिन ए , डी , ई और के की कमी हो जाती है। इस तरह की डाइट से लगातार भूख भी महसूस होती है। इसी तरह हेल्दी फैट खाना बेहद जरूरी है , जैसे कि गिरी , घी , पनीर और फिश। ये शरीर को नमी प्रदान करते हैं और कम उम्र में झुर्रियां पड़ने से रोकते हैं।
बिंज इटिंग को बाय - बाय : बीच - बीच में छुट - पुट खाना ही सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है क्योंकि पूरा खाने खाते हुए तो लोग ध्यान रखते हैं कि क्या खाएं , क्या न खाएं लेकिन बीच - बीच में बिस्कुट , नमकीन , ड्राई - फ्रूट्स , कोल्ड ड्रिंक , चाय - काफी पीते रहना काफी कैलरी जमा कर देता है।
नॉन वेज : पोर्क या चिकन से परहेज करें। वाइट मीट या फिश का सकते हैं। डीप फ्राइ के बजाय भाप में बना या भुना मीट खाएं। पूरे अंडे के बजाय सफेद हिस्सा खाएं।
इस तरह से लीजिए डाइट
- दिन की शुरुआत कभी भी कॉफी या चाय के साथ न करें। कैफीन वाली चीजें बीपी व हार्ट रेट बढ़ाती हैं। इससे शरीर में तनाव महसूस होता है , जोकि पाचन तंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन है। हम चाय या कॉफी पीकर नींद खुलने जैसा महसूस करते हैं , उसकी असली वजह हार्ट व ब्रिदिंग रेट का बढ़ना होता है। सुबह के वक्त बॉडी रिलैक्स होती है और हार्ट व ब्रिदिंग रेट सबसे कम होता है। इस रिलैक्स को बनाए रखने के लिए वास्तविक खाने की जरूरत होती है। चाय कॉफी से पिछले 9- 10 घंटे से भूखे सेल्स को जीरो न्यूट्रिशन मिलता है। इससे भूख मरती है और आप लंबे वक्त कर बिना महसूस किए भूखे रहते हैं। सूरज निकलने के साथ मेटाबॉलिज्म पीक पर होता है। ऐसे में इस वक्त सबसे ज्यादा खाने की जरूरत होती है। अगर आप कुछ ठोस नहीं खाना चाहते तो फल खा सकते हैं। इसके एक घंटे बाद फाइबर युक्त चीजें खाएं , जैसे रोटी - सब्जी , उपमा , इडली , पोहा आदि लेना चाहिए। एक बार सेल्स को न्यूट्रिशन मिल जाए तो आप चाय - कॉफी ले सकते हैं।
- हर दो घंटे में खाएं। इससे आप मोटे नहीं होंगे , बल्कि खाने की मात्रा कम होगी। ऐसे में एक वक्त में आप कम कैलरी लेंगे। ये कैलरी बेहतर तरीके से इस्तेमाल होंगी और शरीर में जमा नहीं होंगी। थोड़े - थोड़े अंतराल पर खाने से बॉडी को बेहतर महसूस होता है।
- ज्यादा ऐक्टिव हों तो ज्यादा खाएं और कम एक्टिव हों तो कम। अगर खुद को भूखे रखना सजा है तो ज्यादा खाना अपराध। बिना यह ध्यान दिए कि हमारे पेट को क्या जरूरत है , हम खाते जाते हैं। हम मोटे इसलिए होते हैं , क्योंकि हम सही वक्त पर खाने के बजाय गलत वक्त पर खाते हैं। उदाहरण के लिए लड्डू में काफी कैलरी होती है और अगर लड्डू खाने के साथ या रात में खाएं तो उन्हें कैलरी के रूप में शरीर में जमा होने से कोई नहीं रोक सकता। भरे पेट ( खाने के बाद ) और मेटाबॉलिक रेट कम होने के बाद ( सूर्यास्त के बाद ) शरीर पोषक न्यूट्रिएंट लेना बंद कर देता है। एक अच्छी और तनावरहित नींद भी फैट कम करने में मदद करती है। सही तरीका यह है कि रात में 6: 30 बजे तक पूरा खाना और 8: 30 बजे तक हल्का खाना खा लें। स्ट्रेस टाइम , बीमारी और ट्रैवल के वक्त ज्यादा कैलरी की जरूरत होती है।
- अपने वजन को बढ़ने से रोकने की सबसे बेहतर उम्र होती है 18 से 25 साल। इस दौरान वजन मेंटेन किया तो आगे आसानी से नहीं बढ़ता।
सोमवार, 21 मार्च 2011
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