सोमवार, 21 मार्च 2011

32 नॉट आउट


ओरल हेल्थ का सरोकार सिर्फ हमारे मुंह से नहीं, बल्कि पूरे शरीर की सेहत से है। कम ही लोग जानते हैं कि खराब दांत और बदबूदार सांसें दिल की बीमारियों तक की वजह बन सकते हैं। लेकिन थोड़ी देखभाल से आप चमकीले दांत और महकती सांसें पा सकते हैं। वर्ल्ड ओरल हेल्थ डे के मौके पर एक्सपर्ट्स से बात करके मुंह की सेहत को दुरुस्त रखने के नुस्खे बता रही हैं प्रियंका सिंह-

करीब 90 फीसदी लोगों को कभी-न-कभी दांतों से संबंधित परेशानी होती है। लेकिन ढंग से साफ-सफाई के साथ-साथ हर छह महीने में रेग्युलर चेकअप कराते रहें तो दांतों की ज्यादातर बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है। दांतों में ठंडा-गरम लगना, कीड़ा लगना (कैविटी), पायरिया (मसूड़ों से खून आना), सांस में बदबू और दांतों का बदरंग होना जैसी बीमारियां आम हैं।

दांत में दर्द
दांत का दर्द बीमारी नहीं, बीमारी का लक्षण है। दर्द की अलग-अलग वजहें हो सकती हैं, मसलन कैविटी, मसूड़ों में सूजन, ठंडा-गरम लगना आदि। ज्यादातर मामलों में दर्द की वजह कैविटी होती है। दरअसल, मीठी और स्टार्च वाली चीजों से बैक्टीरिया पैदा होता है, जिससे दांतों खराब होने लगते हैं और उनमें सूराख हो जाता है। इसे ही कीड़ा लगना या कैविटी कहते हैं। लार और दांतों का गठन भी कई बार कैविटी की वजह बन जाता है। दांतों की अच्छी तरह सफाई न करने पर उन पर परत जम जाती है। इसमें जमा बैक्टीरिया टॉक्सिंस बनाते हैं, जो दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे बचें : कीड़ा लगने से बचने का सबसे सही तरीका है कि मीठी और स्टार्च आदि की चीजें कम खाएं और बार-बार न खाएं। खाने के बाद ब्रश करें। ऐसा मुमकिन न हो तो अच्छी तरह कुल्ला करें।

कैसे पहचानें: अगर दांतों पर काले-भूरे धब्बे नजर आने लगें, खाना फंसने लगे और ठंडा-गरम लगने लगे तो कैविटी हो सकती है। इस हालत में फौरन डॉक्टर के पास जाएं। शुरुआत में ही फिलिंग कराने पर कैविटी बढ़ने से रुक जाती है।

राहत के लिए: अगर दांत में दर्द हो रहा हो तो बहुत ठंडा-गरम न खाएं। इसके अलावा, एक कप गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक डालकर कुल्ला करें। इससे कैविटी में फंसा खाना निकल जाएगा। जहां दर्द है, वहां लौंग के तेल में भिगोकर रुई का फाहा रख सकते हैं। यह तेल केमिस्ट से मिल जाता है। ध्यान रहे कि तेल दर्द की जगह पर ही लगे, आसपास नहीं। तेल नहीं है, तो लौंग भी उस दांत के नीचे दबा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर पैरासिटामोल, कॉम्बिफ्लेम या आइबो-प्रोफिन बेस्ड इनालजेसिक ले सकते हैं। हालांकि कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह कर लें। कई लोग एस्प्रिन लेते हैं, जोकि ब्लीडिंग की वजह बन सकती है। जिन्हें अस्थमा है, वे कॉम्बिफ्लेम की बजाय वोवरॉन लें। जितना जल्दी हो सके, डॉक्टर के पास जाकर फिलिंग कराएं।

दूसरी वजहों के लिए: अगर दर्द मसूड़ों में सूजन की वजह से है तो भी गुनगुने पानी में नमक या डिस्प्रिन डालकर कुल्ला करने से राहत मिल सकती है। मसूड़ों के दर्द में गलती से भी लौंग का तेल न लगाएं। इससे मसूड़ों में जलन हो सकती है और छाले बन सकते हैं। फौरी राहत के लिए ऊपर लिखे गए पेनकिलर्स में से ले सकते हैं लेकिन जल्द-से-जल्द डॉक्टर के पास जाकर प्रॉपर इलाज कराना बेहतर है।

सांस में बदबू
आमतौर पर लोग मानते हैं कि पेट खराब होने या साइनस की प्रॉब्लम होने से सांस में बदबू होती है, लेकिन 95 फीसदी मामलों में मसूड़ों और दांतों की ढंग से सफाई न होने और उनमें सड़न व बीमारी होने पर मुंह से बदबू आती है। खाने के बाद जब हम ढंग से दांत साफ नहीं करते तो खाने के बचे हुए हिस्सों पर बैक्टीरिया सल्फर कंपाउंड बनाता है, जिससे सांस में बदबू हो जाती है। यह बदबू मुंह से अंदर, जीभ के पीछे वाले हिस्से और मसूड़ों के निचले हिस्से में बनती है। लहसुन, प्याज जैसी चीजें भी बदबू की वजह बनती है। पेट में कीड़े होने, सही से डाइजेशन न होने, गले में इन्फेक्शन होने और दांतों में कीड़ा लगने पर भी सांस में बदबू हो सकती है। जिस वजह से सांस में बदबू है, उसी के मुताबिक इलाज किया जाता है। फिर भी फौरन राहत के लिए सौंफ, लौंग, तुलसी या पुदीने के पत्ते चबा सकते हैं। जिनको सांस में बदबू की शिकायत रहती है, उन्हें मिंट आदि की शुगर-फ्री चुइंग-गम चबानी चाहिए। इससे ज्यादा स्लाइवा बनता है, जो बदबू को कम करता है। ज्यादा पानी पीने से भी स्लाइवा का मोटापन कम होता है और सांस की बदबू कम होनी की उम्मीद होती है।

कब और कैसे करें ब्रश
यों तो हर बार खाने के बाद ब्रश करना चाहिए, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं होता इसलिए दिन में कम-से-कम दो बार ब्रश जरूर करें। रात में सोने से पहले और सुबह उठकर ब्रश जरूर करें। अगर रात में ब्रश किया है तो नाश्ता करने के बाद भी ब्रश कर सकते हैं। दांतों को तीन-चार मिनट ब्रश जरूर करना चाहिए। कई लोग दांतों को बर्तन की तरह मांजते हैं, जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं, उससे 60-70 फीसदी ही सफाई हो पाती है। दांतों को हमेशा सॉफ्ट ब्रश से हल्के दबाव से धीरे-धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी-बारी से हर दांत को साफ करें। ऊपर के दांतों को नीचे की ओर और नीचे के दांतों को ऊपर की ओर ब्रश करें। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। जीभ को भी टंग क्लीनर के बजाय ब्रश से साफ करना चाहिए। टंग क्लीनर इस्तेमाल करें तो इस तरह कि ब्लड न निकले। उंगली या ब्रश से धीरे-धीरे मसूड़ों की मालिश करें। इससे वे मजबूत होते हैं।

कैसा ब्रश इस्तेमाल करें
ब्रश (सेंसटिव) सॉफ्ट और आगे से पतला होना चाहिए। हार्ड ब्रश या मीडियम ब्रश से दांत कट जाते हैं। दो-तीन महीने में या ब्रशल्स फैलने पर उससे पहले ही ब्रश बदल देना चाहिए। रोजाना गर्म पानी में भिगोने से ब्रशल्स सॉफ्ट बने रहते हैं।

फ्लॉसिंग कब करें
दांतों के बीच में फंसे खाने के कणों को निकालने के लिए रोजाना फ्लॉसिंग (प्लास्टिक के धागे से) जरूर करें। हालांकि कुछ डॉक्टर मानते हैं कि खाना फंसने पर ही फ्लॉसिंग करें, लेकिन ज्यादातर डॉक्टर रोजाना फ्लॉसिंग की सलाह देते हैं। इससे दांतों के उस हिस्से की भी सफाई हो जाती है, जहां ब्रश नहीं पहुंच पाता।

कौन-सा टूथपेस्ट इस्तेमाल करें
दांतों की सफाई में टूथपेस्ट लुब्रिकेशन और ताजगी का काम करता है। टूथपेस्ट में फ्लॉराइड हो तो वह दांतों को कीड़ा लगने से बचाता है। लेकिन ज्यादा फ्लोराइड से भी दांतों पर दाग भी पड़ने लगते हैं। 6 साल से छोटे बच्चों को भी फ्लोराइड वाला पेस्ट यूज नहीं करना चाहिए। जिनको कैविटी ज्यादा होती हैं, वे जरूर फ्लोराइडवाला टूथपेस्ट यूज करें। मटर के दाने के बराबर टूथपेस्ट काफी होता है।

टूथपाउडर और मंजन: टूथपाउडर और मंजन के इस्तेमाल से बचें। टूथपाउडर बेशक महीन दिखता है लेकिन काफी खुरदुरा होता है। टूथपाउडर करें तो उंगली से नहीं, बल्कि ब्रश से। मंजन दांतों की ऊपरी परत को घिस देता है।

दातुन: दातुन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। कभी-कभार नीम, बबूल या जामुन (खासकर शुगर के मरीज) की दातुन कर सकते हैं। दातुन में मौजूद एस्ट्रिंजेंट व टोनर से फौरी तौर पर अच्छा महसूस होता है, लेकिन दातुन पूरी तरह सफाई कर पाती है। ज्यादा यूज करने से दांतों का इनमेल घिस जाता है और मसूड़ों में भी चोट लग सकती है।

माउथवॉश : माउथवॉश के इस्तेमाल को लेकर एक राय नहीं है। डॉक्टर सांस की बदबू आदि में माउथवॉश यूज करने की सलाह देते हैं तो डॉक्टर से जरूर पूछें कि कितने दिन यूज करना है? ज्यादा यूज करने से इनमें मौजूद केमिकल दांतों पर दाग की वजह बन सकते हैं। ध्यान रहे कि अल्कोहल बेस्ड माउथवॉश बिल्कुल यूज न करें। हेक्सिडीन, प्लाक्स, पैरियोगार्ड आदि माउथवॉश यूज कर सकते हैं। माउथवॉश रात में सोने से पहले इस्तेमाल करें।

छालों के लिए
टेंशन, एलर्जी, विटामिन की कमी, पाचन क्रिया सही न होना, किसी दांत का बेहद तीखा होना, खराब ब्रश से मुंह में कट लगना, डेंचर का बेहद शार्प होना या मुंह में चोट लगना आदि छालों की वजह हो सकती हैं। आमतौर पर छाले 6-7 दिन में खुद ही ठीक हो जाते हैं।

क्या करें: पानी खूब पिएं। डाइजेशन सुधारने की कोशिश करें। शहद या ग्लिसरीन में थोड़ा बोरिक पाउडर मिलाकर भी छालों पर लगा सकते हैं। ध्यान रखें कि यह मिक्सचर सिर्फ छालों पर लगाएं। ग्लिसरीन बेस्ड गम पेस्ट या दर्द में राहत देनेवाला जेल लगा सकते हैं। साथ में, सुबह-शाम पांच दिन तक मल्टी-विटामिन कैप्सूल (बी कॉम्पलेक्स या विटामिन सी) का कैप्सूल खाएं।

ध्यान दें : मुंह काफी सेंसटिव है। इसमें कोई भी चोट या कैविटी बड़ी बीमारी की वजह बन सकता है। 15 दिन तक छाले ठीक न हों तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।

ठंडा-गरम लगने पर

दांत के टूटने-पीसने, किरकिराने, मसूड़ों की जड़ें दिखने पर ठंडा-गरम लगने लगता है। कई बार बेहद दबाव के साथ ब्रश करने से भी दांत घिस जाते हैं और मुंह में संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

क्या करें : ज्यादा ठंडा-गरम न खाएं। आमतौर पर डॉक्टर ठंडा-गरम लगने पर मेडिकेटिड टूथपेस्ट व माउथ वॉश की सलाह देते हैं। इनमें कोलगेट सेंसटिव, सिक्वेल एडी आदि यूज कर सकते हैं। अगर हफ्ते-10 दिन इस्तेमाल करने पर भी संवेदनशीलता बनी रहती है तो डॉक्टर को दिखाएं। ये पेस्ट या माउथवॉश एक महीने से ज्यादा यूज न करें।


घरेलू नुस्खे
चमकते दांतों के लिए क्या करें
- बेकिंग सोडा और हाइड्रोजन परोक्साइज को मिलाकर पेस्ट बना लें। हफ्ते में एक बार इससे दांत साफ करें।
- संतरे के छिलके को अंदर की तरफ से हल्के हाथ से दांतों पर रगड़ने से दांत साफ हो जाते हैं। ऐसा कभी-कभी करें।
- नीबू का रस और सेंधा नमक बराबर मात्रा में मिला लें। दांतों के पीले हिस्से पर धीरे-धीरे रगड़ें। इसे मसूड़ों पर मलना ज्यादा फायदेमंद है।
- एक कप पानी में आधा चम्मच सेंधा नमक मिला लें। रात में सोने से पहले इससे कुल्ला करें।
- दर्द होने पर उस दांत पर लौंग का तेल लगा सकते हैं या लौंग दबा सकते हैं। मसूड़ों पर लौंग करने से वाइट पैच हो सकता है।
- तुलसी का पेस्ट बनाएं। उसमें थोड़ी चीनी मिला लें। अगर डायबीटीज है तो चीनी की बजाय शहद मिला लें। धीरे-धीरे मसूड़ों पर मसल लें। सांस और दांत दोनों अच्छे होंगे।
- सौंफ चबाएं से बदबू से फौरी राहत मिलती है।
- एक कप पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर गार्गल करें। शहद हीलिंग का काम करता है।

नोट : कोई भी तरीका हफ्ते में दो बार से ज्यादा इस्तेमाल न करें। फिटकरी या सोडा दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचाते हैं। विटामिन-सी का ज्यादा इस्तेमाल भी सही नहीं है।

बच्चों के दांतों की देखभाल
छोटे बच्चों की दूध की बॉटल अच्छे से साफ करें। सोते हुए उनके मुंह में बोतल न छोड़ें। हाथ से धीरे-धीरे उनके मसूड़ों की मालिश करें। छह साल से नीचे के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट यूज न करने दें। उन्हें चॉकलेट या चूइंग-गम कम खानें दें।

दिल दा मामला है
ओरल हेल्थ अगर ठीक नहीं है तो दिल की सेहत भी खराब हो सकती है। हाल में हुई कई स्टडी इन दोनों के बीच कनेक्शन बताती हैं। स्टडी के मुताबिक हार्ट अटैक के 40 फीसदी मरीजों को मसूड़ों की दिक्कत पाई गई। असल में, जब दांत खराब होते हैं या मसूड़ों में सूजन होती है तो धमनियां सुकड़ जाती हैं। वजह, दांतों में मौजूद बैक्टीरिया ब्लड वेसल्स में जाकर उनमें भी प्लाक बना देते हैं और वे संकरी हो जाती हैं। दिल की बीमारियों के लिए रिस्क फैक्टर्स में डायबीटीज, हाइपर टेंशन, स्मोकिंग, ड्रिंकिंग के साथ-साथ दांत खराब होना भी जुड़ गया है। यहां तक कि जिन महिलाओं को मसूड़ों की दिक्कत होती है, उनके मिस कैरिज या प्री-मैच्योर बच्चा होने की आशंका बढ़ जाती है।

टेंशन का दांतों पर असर
साफ-सफाई न रखने पर दांतों में दिक्कत होने के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन ज्यादातर लोग इससे अनजान हैं कि टेंशन का हमारे दांतों पर सीधा असर पड़ता है। मुस्कराहट और अच्छे व खूबसूरत दांतों के बीच दोतरफा संबंध है। सुंदर दांतों से जहां मुस्कराहट अच्छी होती है, वहीं मुस्कराहट से दांत अच्छे बनते हैं। तनाव दांत पीसने की वजह बनता है, जिससे दांत बिगड़ जाते हैं। तनाव से तेजाब भी बनता है, जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है।

हार्वड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक तनाव से ब्रुक्सिजम (नींद में दांत पीसना), ड्राई माउथ और बर्निंग माउथ सिंड्रोम जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। दांत पीसने की आदत से दांत टूट सकते हैं या सेंसटिव हो सकते हैं। सिरदर्द और जबड़ों में दर्द भी हो सकता है। इसके लिए रात में सोते हुए माउथगार्ड पहनें और सुबह उठकर मेडिटेशन करें।

मुंह सूखने की समस्या होने पर स्वाइवा कम हो जाता है। इससे स्वाद घट जाता है और भूख भी कम लगती है। दांतों में टूट-फूट बढ़ जाती है। लुब्रिकेशन की कमी से डेंचर लगाने में दिक्कत हो सकती है। दांतों में संवेदनशीलता बढ़ सकती है। बर्निंग माउथ सिंड्रोम (बीएमएस) में जीभ, होंठ, तालु या पूरे मुंह में जलन महसूस होती है। यह समस्या आमतौर पर उम्रदराज महिलाओं में होती है। इसमें मरीज को खाना तीखा लगता है, मुंह सूख जाता है और जीभ का हिस्सा सुन्न हो जाता है।

केस स्टडी
डॉ. तुली के मुताबिक, मेरे मसूड़ों पर काफी टारटर बनता था, जिससे क्रोनिक इन्फेक्शन हो गया और मसूड़ों से खून निकलने लगा। मुंह से बदबू के साथ-साथ मसूड़े भी घटने लगे। एक-दो दांत भी गिर गए। मुझे टेंशन रहती थी कि कहीं दिल पर तो बुरा असर नहीं पड़ रहा है। तभी मुझे आयुर्वेदिक गोली जी-32 (एलारसिन) की जानकारी मिली। मैंने इसे पीसकर मसूड़ों पर मसाज शुरू की, नीचे से ऊपर, और ऊपर से नीचे की ओर। मसाज करने से तुरंत फायदा हुआ। अब भी हफ्ते में दो बार करता हूं। यह टैब्लेट थोड़ी रफ है, इसलिए किसी बारीक टूथ पउडर में मिलाकर सॉफ्ट हाथों से करें।

क्या करें
- रोजाना दो बार ब्रश करें। सोने से पहले और जागने के बाद। हर बार कम से कम तीन मिनट तक जरूर ब्रश करें।
- जीभ को टंग क्लीनर या ब्रश से साफ करें।
- दांतों के बीच फंसी गंदगी को साफ करने के लिए फ्लॉस का इस्तेमाल करें।
- कुछ भी खाने-पीने के बाद कुल्ला करें।
- अगर रात में सोते हुए दांत चबाने की आदत है तो गार्ड्स पहनें। इससे दांत घिसेंगे नहीं।
- हर छह महीने में दांत जरूर चेक कराएं। हमारी सेहत पूरी तरह खाने और खाना दांतों की सेहत पर निर्भर है।
- शुगर फ्री चुइंग-गम चबाएं। यह स्वाइवा बढ़ाती है, मसल्स को मजबूत करती है और दांतों को भी साफ करती है।

क्या न करें
- दांतों पर कुछ भी रगड़े नहीं। दांतों पर रगड़ने से इनेमल खराब होने का खतरा होता है।
- हल्के हाथ से उंगलियों से मसूड़ों की मसाज नियमित रूप से करें।
- जंक और पैक्ड फूड ज्यादा न खाएं क्योंकि इनमें मौजूद शुगर कंटेंट पर बैक्टीरिया जल्दी अटैक करते हैं।
- बार-बार मीठा न खाएं। च्यूइंग-गम, टॉफी व दांतों में चिपकनेवाली चीजों से परहेज करें।
- बिस्कुट, चिप्स, ब्रेड जैसी सॉफ्ट चीजें न खाएं। कच्ची सब्जियां खाने से दांत मजबूत होते हैं।
- नीबू जैसी खट्टी चीजें ज्यादा न खाएं। इनसे दांतों पर बुरा असर पड़ता है।
- पान-तंबाकू, गुटका आदि के सेवन से बचें। चाय-कॉफी भी कम पिएं।
- ज्यादा कोल्ड ड्रिंक्स पीने से दांतों पर दाग-धब्बे आ सकते हैं।
- दांतों में धागे आदि न फंसाएं। न ही कोई नुकीली चीज दांतों के बीच डालें।
- खाली पेट न रहें। खाली पेट से सांसों में बदबू हो सकती है।

एक्सपर्ट्स पैनल
- डॉ. महेश वर्मा, प्रिंसिपल, मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज
- डॉ. स्मृति बौरी, एचओडी (साइथ रीजन), डेंटिस्ट डिपार्टमेंट, मैक्स हेल्थकेयर
- डॉ. जितेंद्र अरोड़ा, ओरल इम्प्लांटालॅजिस्ट और कॉस्मटॉलजिस्ट
- डॉ. रवि तुली, सीनियर कंसल्टंट, हॉलेस्टिक मेडिसिन, अपोलो हॉस्पिटल
- रुक्मणी नैयर, नैचरोपैथी एक्सपर्ट

कैसे घटाएं वजन

हाल के बरसों में मोटापे को लेकर लोग काफी सचेत हो गए हैं। जो लोग फिट हैं , वे वजन बढ़ने नहीं देना चाहते और जो मोटे हैं वे किसी भी तरह वजन घटाना चाहते हैं। कैसे घटाएं वजन ...

कोई मील न छोड़ें : अगर वजन घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि कोई भी मील छोड़े नहीं। तीन प्रॉपर मील और बीच में दो स्नैक्स जरूर लें। अगर कोई मील छोड़ेंगे तो अगली बार ज्यादा खाएंगे , जोकि सही नहीं है।

ब्रेकफस्ट पर फोकस : दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफस्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कम करने की धुन में ब्रेकफस्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहता हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफस्ट लिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते या खाने में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं , बल्कि बदलते रहें। कभी दूध के साथ दलिया ले सकते हैं तो कभी वेज सैंडविच तो कभी पोहा या उपमा।

जल्द करें डिनर : दिन का खाना भी प्रॉपर होना चाहिए , जबकि डिनर सबसे हल्का। डिनर रात में 8 बजे तक कर लेना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है तो भी सोने से दो घंटे पहले जरूर खाना खा लें। नहीं दाल , राजमा , चावल जैसी चीजें रात में नहीं खानी चाहिए क्योंकि ये आसानी से पचती नहीं हैं। अगर देर रात तक जागते हैं और भूख लगती है तो फ्रूट्स या सलाद खानी चाहिए। असल में रात में बेसिक मेटाबॉलिक रेट काफी कम होता है। ऐसे में खाना पच नहीं पाता।

वॉल्यूम : खाने में वॉल्यूम पर ध्यान रखें। यानी दो बिस्कुट की बजाय एक कटोरी उबला चना खाएं तो बेहतर है , क्योंकि दोनों में कैलरी करीब - करीब बराबर ही होती हैं। इसके बजाय बीन्स , सलाद , ढोकला , पनीर ( टोन्ड मिल्क का ), चना आदि लें।

नमक में करें कटौती : खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। वैसे , हेल्दी मतलब खाने का मतलब फीके खाने से नहीं है। परंपरागत मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट , ऐंटी ऑक्सिडेंट और फाइबर भी होते हैं। सिर्फ ध्यान रखें कि इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें।

साबुत व छिलके वाली चीजें बेहतर : बिना छना आटा खाएं। गेहूं के साथ चने का आटा मिलाने से पाचन अच्छा होता है। गेहूं या जौ का आटा ( बिना छना ), ब्राउन ब्रेड , दलिया , कॉर्न या वीट फ्लैक्स , ब्राउन राइस व दालें आदि खाएं। अंकुरित अनाज व दालें विटामिन , मिनरल , प्रोटिन और फाइबर से भरपूर होती हैं।

स्नैक्स : प्रॉपर मील के बीच चिवड़ा , पोहा , ढोकला , सलाद , अंकुरित दालें , फल या सलाद खा सकते हैं। तेल और चीनी से परहेज करें। खाली कार्बोहाइड्रेट्स लेने से भूख जल्दी लगती है , इसलिए प्रोटीन भी खाने में शामिल करें।

मौसमी फल और सब्जियां : मौसमी फल और सब्जी खाएं। जूस के बजाय साबुत फल खाना बेहतर होता है। अलग - अलग सब्जी से अलग - अलग पोषक तत्व मिलते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं , इनमें मिनरल और विटामिन काफी तादाद में होते हैं।

सफेद से परहेज , रंगीन से प्यार : वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कम करें और मल्टीग्रेन या मल्टीकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब , पपीता आदि ) पर जोर दें।

दूध , दही और पनीर : बिना फैट वाला दूध या दही खाएं। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतर है कि मलाई उतार ली जाए। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व भी कम होते हैं। सोया से बना पनीर , दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नीबू , टमाटर , मेथी , पालक , बादाम , काजू , गोला जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी से बच सकते हैं।

पानी व अन्य तरल पदार्थ : दिन में 3- 4 लीटर पानी व तरल पदार्थ लें। पानी न सिर्फ फैट कम करता है , बल्कि शरीर से जहरीले तत्वों को भी निकालता है। यह भूख कम करता है और कब्ज रोकता है। खाने के 15 मिनट बाद घूंट - घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए। जब भी पानी पिएं , ठंडे या सादे की बजाय गुनगुने पानी को तरजीह दें। खाने की शुरुआत एक गिलास पानी , नारियल पानी , जूस , सूप , नीबू पानी या छाछ से करें।

चीनी और जंक फूड से तौबा : शुगर , जंक फूड , फास्ट फूड , मिठाइयां खाने की लिस्ट से निकाल दें। कैंडी , जेली , शहद , मिठाई और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रहें। इसी तरह बिस्कुट , केक , पेस्ट्री में काफी फैट और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होता है , जो मोटापा बढ़ाता है।

तेल की धार : तला - भुना खाना न खाएं और ऊपर से मक्खन , ग्रेवी व ड्रेसिंग आदि न करें। खाने में तेल इस्तेमाल किए जाने वाला तेल बदलना बेहद जरूरी है। मसलन एक सप्ताह सनफ्लावर ऑयल लें तो दूसरे में सोयाबीन ऑयल यूज करें। या फिर एक वक्त का खाना एक तेल में पका सकते हैं तो दूसरे वक्त का किसी और तेल में। गिरियों में काफी फैट होता है। उन्हें खाएं जरूर मगर कम मात्रा में। लेकिन फैट कम करने का मतलब फैट फ्री डाइट से कतई नहीं है। फैट फ्री डाइट से जरूरी फैटी एसिड और फैट सॉल्युबल विटामिन ए , डी , ई और के की कमी हो जाती है। इस तरह की डाइट से लगातार भूख भी महसूस होती है। इसी तरह हेल्दी फैट खाना बेहद जरूरी है , जैसे कि गिरी , घी , पनीर और फिश। ये शरीर को नमी प्रदान करते हैं और कम उम्र में झुर्रियां पड़ने से रोकते हैं।

बिंज इटिंग को बाय - बाय : बीच - बीच में छुट - पुट खाना ही सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है क्योंकि पूरा खाने खाते हुए तो लोग ध्यान रखते हैं कि क्या खाएं , क्या न खाएं लेकिन बीच - बीच में बिस्कुट , नमकीन , ड्राई - फ्रूट्स , कोल्ड ड्रिंक , चाय - काफी पीते रहना काफी कैलरी जमा कर देता है।

नॉन वेज : पोर्क या चिकन से परहेज करें। वाइट मीट या फिश का सकते हैं। डीप फ्राइ के बजाय भाप में बना या भुना मीट खाएं। पूरे अंडे के बजाय सफेद हिस्सा खाएं।

इस तरह से लीजिए डाइट
- दिन की शुरुआत कभी भी कॉफी या चाय के साथ न करें। कैफीन वाली चीजें बीपी व हार्ट रेट बढ़ाती हैं। इससे शरीर में तनाव महसूस होता है , जोकि पाचन तंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन है। हम चाय या कॉफी पीकर नींद खुलने जैसा महसूस करते हैं , उसकी असली वजह हार्ट व ब्रिदिंग रेट का बढ़ना होता है। सुबह के वक्त बॉडी रिलैक्स होती है और हार्ट व ब्रिदिंग रेट सबसे कम होता है। इस रिलैक्स को बनाए रखने के लिए वास्तविक खाने की जरूरत होती है। चाय कॉफी से पिछले 9- 10 घंटे से भूखे सेल्स को जीरो न्यूट्रिशन मिलता है। इससे भूख मरती है और आप लंबे वक्त कर बिना महसूस किए भूखे रहते हैं। सूरज निकलने के साथ मेटाबॉलिज्म पीक पर होता है। ऐसे में इस वक्त सबसे ज्यादा खाने की जरूरत होती है। अगर आप कुछ ठोस नहीं खाना चाहते तो फल खा सकते हैं। इसके एक घंटे बाद फाइबर युक्त चीजें खाएं , जैसे रोटी - सब्जी , उपमा , इडली , पोहा आदि लेना चाहिए। एक बार सेल्स को न्यूट्रिशन मिल जाए तो आप चाय - कॉफी ले सकते हैं।

- हर दो घंटे में खाएं। इससे आप मोटे नहीं होंगे , बल्कि खाने की मात्रा कम होगी। ऐसे में एक वक्त में आप कम कैलरी लेंगे। ये कैलरी बेहतर तरीके से इस्तेमाल होंगी और शरीर में जमा नहीं होंगी। थोड़े - थोड़े अंतराल पर खाने से बॉडी को बेहतर महसूस होता है।

- ज्यादा ऐक्टिव हों तो ज्यादा खाएं और कम एक्टिव हों तो कम। अगर खुद को भूखे रखना सजा है तो ज्यादा खाना अपराध। बिना यह ध्यान दिए कि हमारे पेट को क्या जरूरत है , हम खाते जाते हैं। हम मोटे इसलिए होते हैं , क्योंकि हम सही वक्त पर खाने के बजाय गलत वक्त पर खाते हैं। उदाहरण के लिए लड्डू में काफी कैलरी होती है और अगर लड्डू खाने के साथ या रात में खाएं तो उन्हें कैलरी के रूप में शरीर में जमा होने से कोई नहीं रोक सकता। भरे पेट ( खाने के बाद ) और मेटाबॉलिक रेट कम होने के बाद ( सूर्यास्त के बाद ) शरीर पोषक न्यूट्रिएंट लेना बंद कर देता है। एक अच्छी और तनावरहित नींद भी फैट कम करने में मदद करती है। सही तरीका यह है कि रात में 6: 30 बजे तक पूरा खाना और 8: 30 बजे तक हल्का खाना खा लें। स्ट्रेस टाइम , बीमारी और ट्रैवल के वक्त ज्यादा कैलरी की जरूरत होती है।

- अपने वजन को बढ़ने से रोकने की सबसे बेहतर उम्र होती है 18 से 25 साल। इस दौरान वजन मेंटेन किया तो आगे आसानी से नहीं बढ़ता।

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

balance diet

A healthy diet will serve a good balance of each of the food groups listed. Of course, different individuals will need different amounts of food. Other factors such as age, body size, activity level, gender will also affect the amount of food you eat. Below is a guide to provide you with a general idea of how much from each group you should serve for a healthy diet.


Healthy Diet Food Guide
Vegetable and Fruits
5 to 12 servings per day Example:

•Carrots
•Broccoli
•Salads
•Bananas
•Apples
•Juices

Grain Products
5 to 10 servings per day Example:
•Breads
•Cereals
•Bagel
•Pastas
•Rice
•Buns

Dairy Products
2 to 4 servings per day Example:
•Milk
•Cheese
•Yogurt

Meat and Alternative Products
2 to 3 servings per day Example:
•Poultry
•Fish
•Eggs
•Beans
•Peanut butter
•Soy products (i.e.. Tofu)



Please note that meat is NOT a necessary part of a healthy diet. Contrary to what many say, you can get enough proteins from vegetables, beans and soy products.

The healthy diet food guide listed above should give you a good approach to eating healthy. You will find a wealth of information on healthy eating, cooking, and healthy dieting on our web site. As well, many delicious, healthy recipes. Here's a good place to start for cooking delicious, and healthy meals.

And remember, drink 6 to 8 glasses of water everyday. :)