मंगलवार, 21 जून 2011

जानिए प्रमुख बीमारियों के पथ्य-अपथ्य

जानिए प्रमुख बीमारियों के पथ्य-अपथ्य


प्रकाशित : 05/25/2008आरोग्य

बीमार होना कोई बड़ी बात नहीं है। जब भी खान-पान, रहन-सहन में थोड़ी-सी भी प्रतिकूलता हो जाती है, तभी इंसान बीमार पड़ जाता है। बीमार पड़ने पर चिकित्सक की सलाह पर रोगी औषधि का सेवन करता है, किन्तु पथ्य-अपथ्य की जानकारी न होने के कारण वह परहेज नहीं करता। परिणामस्वरूप रोगी पूरी तरह �� ीक होने में महीनों का समय ले लेता है।



�� ीक होने के बाद भी अगर रोगी पथ्य-अपथ्य पर ध्यान नहीं देता है, तो वह पुन बीमार हो सकता है। क्या खाया जाए और क्या न खाया जाए ताकि स्वस्थ रहें, इस विषय पर यहाँ प्रमुख जानकारियाँ दी जा रही हैं। रोगानुसार पथ्य-अपथ्य इस प्रकार हैं-



मोटापे में :- जौ, चना, गेहूँ, मूंग, मसूर, शहद, मट्�� ा, पत्तेदार सब्जियाँ, हरी तरकारियाँ, ताजे मी�� े फल एवं व्यायाम मोटापे के रोगियों के लिए पथ्य हैं, किन्तु चावल, दूध, मि�� ाई, माँस, शक्कर, दाल, उड़द, घी, शराब तथा दिन में सोना अपथ्य माना जाता है।



अजीर्ण-मन्दाग्नि में :- संतरा, नींबू, शहद, आँवला, मूंग की दाल का पानी, पुराना चावल, बथुआ, अनार, मूली, मक्खन, लहसुन, मट्�� ा, सरसों का तेल, पे�� ा, केला, हींग, अदरक, परवल, अजवाइन, करेला, मेथी, जीरा तथा धनिया इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए पथ्य है जबकि जुलाब लेना, उड़द की दाल, आलू, दूध, खोआ, माँस तथा मछली अपथ्य हैं।



गर्भधारण के बाद :- गेहूँ, चावल, जौ, मूंग, मक्खन, दूध, शहद, चीनी, आंवला, केला, आम, मी�� े फल, अंगूर, मुनक्का, ताज़ी हरी सब्जी, अंजीर, किशमिश गर्भवती महिला के लिए पथ्य माना जाता है, जबकि उड़द, मिर्च, खटाई, गरिष्�� भोजन, उपवास करना, वादी तथा कब्ज करने वाले पदार्थ तथा दिन में सोना आदि अपथ्य माना जाता है।



हृदय रोग में :- पुराने चावल, मूंग का पानी, परवल, लौकी, तुरई, केला, कच्चा आम, हरी मिर्च, अनार, लहसुन, मट्�� ा, अदरक, शहद, मुनक्का, माँस का रसा, अंगूर, शुद्ध जल आदि हृदय रोग से पीड़ित रोगी के लिए पथ्य हैं, जबकि खट्टे एवं गर्म पदार्थ, साग, शराब, भांग, गांजा आदि अपथ्य माने जाते हैं।



पीलिया (जॉण्डिस) में :- आम, कुंदरू, परवल, केला, पे�� ा, चौलाई, मट्�� ा, लहसुन, प्याज, लौकी, तुरई, पपीता की सब्जी पीलिया रोगी के लिए पथ्य हैं, जबकि उड़द, हींग, सरसों के पत्तों का साग, दूध, हल्दी, खटाई, मि�� ाई एवं अधिक नमक अपथ्य हैं।



अतिसार में :- पुराना चावल, मसूर की दाल, अरहर की दाल का पानी, बकरी का दूध, गाय का दूध, मट्�� ा, केले की सब्जी, शहद, जामुन, लसोड़ा, अदरक, बेल, चौलाई का साग अतिसार के रोगियों के लिए पथ्य है। गेहूँ, उड़द, जौ, बथुआ, सेम, मकोय, आलू, आम, सहिजन, गुड़ मुनक्का, लहसुन, ककड़ी, खीरा, खटाई, कद्दू तथा लौकी अपथ्य हैं।



दमा में :- गेहूँ, जौ, पुराना चावल, बकरी का दूध, मक्खन, उड़द, शहद, बथुआ, चौलाई, मूली, पोई का साग, परवल,लहसुन नींबू, कुंदरू, मुनक्का दमा के रोगी के लिए पथ्य हैं। तेल, वनस्पति घी, कड़ाही के तले व्यंजन, दही, मट्�� ा, मक्का, बैंगन, अरबी, भिण्डी आदि अपथ्य माने जाते हैं।



प्रमेह में :- जौ, गेहूँ, परवल, गूलर, लहसुन, जामुन, खजूर, चावल, ताजा मट्�� ा, तरबूज पथ्य माना जाता है। उड़द, लोबिया, सिरका, खटाई, गुड़, तेल, मिर्च मसाला कब्जकारक पदार्थों को अपथ्य माना जाता है।



उल्टी (वमन) में :- धनिया, पुदीना, नींबू, शहद, आंवला, आम, बेर, आलू बुखारा, मुनक्का, पका कैथ, अनार, सौंफ, अजवायन, मिश्री, संतरा, मौसम्मी पथ्य माना जाता है, जबकि तुरई, कुंदरू, सरसों, उष्ण तथा चिकने पदार्थों को अपथ्य माना जाता है।



खाँसी में : नींबू, परबल, लहसुन, मुनक्का, शहद, बथुआ, घी, मकोय का साग, बकरी का दूध पथ्य माना जाता है, जबकि कब्जकारक पदार्थ, सरसों का तेल, लौकी, पोई का साग, आलू, खटाई एवं मछली आदि को अपथ्य माना जाता है।



पेट की कीड़ों में : बथुआ, लहसुन, सरसों का साग, केले की सब्जी, नीम की कोमल पत्तियों का साग, हल्का अन्न, जौ, पुराना चावल, मक्खन, पे�� ा, केला, परवल, मिश्री, जौ, घी, गाय का दूध, मूंग, आदि पथ्य है, जबकि उड़द, दही, साग, खटाई, मि�� ाई, हींग, तेल, गर्म पदार्थ आदि अपथ्य माना जाता है। पथ्य-अपथ्य का ध्यान रख कर स्वयं को लम्बे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।



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